शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के लिए बनाई गई मेडिकल री-इंबर्समेंट नीति में बदलाव के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि आपातकालीन मामलों में बदलाव किया जाएगा।प्रदेश के करीब डेढ़ लाख कर्मचारी मेडिकल री-इंबर्समेंट योजना के अधीन आते हैं। कोर्ट ने कहा है कि सरकार तकनीकी पहलू देखने के बजाय हकीकत से काम ले। हाईकोर्ट ने व्यवस्था देते हुए कहा कि किसी कर्मचारी और उनके आश्रित की आपातकालीन स्थिति प्रशासनिक विभाग अपनी मर्जी या कल्पना के आधार पर तय नहीं कर सकता।
न्यायाधीश राजीव शर्मा ने कहा कि बिना किसी दिशा-निर्देश व मानकों के प्रशासनिक विभाग यह तय नहीं कर सकता कि मेडिकल क्लेम री-इंबर्समेंट का लाभ लेने वाले आपातकालीन स्थिति में थे या नहीं।
उन्होंने कहा कि प्रार्थी को खर्च का भुगतान पॉलिसी के अनुसार दे। कोर्ट ने कहा कि सरकार नीति में बदलाव की जानकारी समय पर कर्मचरियों तक पहुंचाए।
क्या है मामला-एक कर्मचारी ने अपनी पत्नी के घुटने बदलने के लिए दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में वर्ष 2010 में ऑपरेशन करवाया था। इसमें उसके चार लाख 30 हजार रुपए खर्च हुए। मेडिकल क्लेम री-इंम्बर्समेंट के समय सरकार ने क्लेम खारिज कर दिया और कहा कि नई पॉलिसी के तहत क्लेम नहीं बनता, क्योंकि ऐसे ऑपरेशन आपातकालीन नहीं हैं। इंपैनल्ड संस्थानों से इलाज न करवाने के कारण क्लेम खारिज किया जाता है।