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शिक्षा मंत्री सुलझाएंगे एसोसिएट स्कूलों का एफिलिएशन विवाद


लुधियाना. बोर्ड की ओर से एसोसिएटिड स्कूलों को बंद करने को लेकर उठा विवाद एजुकेशन मिनिस्टर सिकंदर सिंह मलूका तक पहुंच गया है। राज्य के एसोसिएटिड स्कूलों के एसोसिएशन की मांग पर उन्होंने 28 फरवरी को चंडीगढ़ मीटिंग के लिए बुलाया है। हालांकि मांगों को लेकर संगठनों ने बोर्ड अधिकारियों को भी मांग पत्र सौंपा था। लेकिन बोर्ड से संतोषजनक रिस्पॉन्स नहीं मिला। इसके बाद शिक्षा मंत्री मलूका से अपील की गई।प्राइवेट स्टूडेंट्स के लिए बनाए गए थे ये स्कूल-2011 में बोर्ड ने प्राइवेट स्टूडेंट्स के एग्जाम में अपीयर न होने का नियम लागू किया था। उसके बाद सबसे बड़ी समस्या यह आई कि इन स्टूडेंट्स का क्या होगा। कहां जाएंगे। इसीलिए 28 मार्च 2011 को एसोसिएट स्कूल बनाए गए। हालांकि एसोसिएट स्कूलों के संचालकों के मुताबिक जब स्कूलों को एसोसिएट किया गया तब बोर्ड ने जगह को लेकर कोई शर्त नहीं रखी थी। बस हर क्लास के लिए एक रूम और एक टीचर की शर्त रखी गई थी। लेकिन अब बोर्ड कह रहा है कि एसोसिएट स्कूलों को एफिलिएशन लेना ही होगा। दूसरा इन स्कूलों को आरटीई के तरह मान्यता मिल चुकी है। ऐसे में इन्हें बंद करने का सवाल ही नहीं उठता।

जमीन के मसले पर अटक रही है बात 
एसोसिएट स्कूलों की अधिकतर शर्तें एफिलेटेड स्कूलों जैसी ही हैं, बस जमीन के मसले पर बात अटकर रही है। शहर में 10वीं तक के स्कूल के लिए कम से कम 2000 गज जगह में 10 कमरे बने होने चाहिए। जबकि 12वीं के लिए 3000 गज जमीन चाहिए। दूसरा स्कूलों को मानकों के अनुसार कमरे बनाकर बोर्ड को बताना होगा, इसके बाद इंस्पेक्शन कमेटी स्कूल का निरीक्षण कर उसे अप्रूव्ड करेगी और उसके बाद ही एफिलिएशन मिलेगा।
जब एसोसिएट स्कूलों को बनाया गया था तब गवर्नमेंट को इनकी इंस्पेक्शन करवानी थी लेकिन वह करवाई नहीं गई। बाद में कई बातें सामने आई और पता चला कि कुछ स्कूलों के पास पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है और इनका इंस्पेक्शन भी नहीं हुआ है। बोर्ड इन स्कूलों को बंद करने के मूड में नहीं है। अभी भी बोर्ड ने गवर्नमेंट से लिखित में यही पूछा है कि एसोसिएट स्कूलों को चलाना है या नहीं।
सुरेश टंडन, वाइस चेयरमैन,
पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड