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तीन साल से निशुल्क पढ़ा रहे हैं 150 गरीब बच्चों को

कोटा.  शहर से 20 किमी दूर सरकारी प्राइमरी स्कूल, पोलाईकलां में अंग्रेजी के शिक्षक ओमप्रकाश मेघवाल ने सरकारी स्कूलों में नामांकन का गिरता स्तर देख अपने स्तर पर कुछ करने की ठानी। उन्होंने गांवडी कच्ची बस्ती के बच्चों के मन में यह आत्मविश्वास जगाया कि ‘तुम भी पढ़ सकते हो।’ मात्र तीन साल में ‘अपनी पाठशाला’ में उन्होंने 150 गरीब बच्चों को नियमित निशुल्क पढ़ाकर प्राइवेट स्कूल के बच्चों के बराबर ला खड़ा किया। इस पाठशाला में रोज शाम 4 से 8 बजे तक बच्चे उत्साह से पढ़ने आते हैं। इन बच्चों ने गुटखा खाना भी छोड़ दिया है।
 2 बच्चों से की थी शुरुआत
 जुलाई, 2010 में उन्होंने गांवडी कच्ची बस्ती के गरीब परिवार के 2 बच्चों को घर पर निशुल्क पढ़ाना शुरू किया। 2011 में बच्चों की संख्या 50 से ज्यादा हुई तो किराए पर कमरा लेकर इसे ‘अपनी पाठशाला’ नाम दिया। सरकारी स्कूलों में कक्षा 3 से 10 में पढ़ने वाले कमजोर बच्चों का शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए उन्होंने साइंस, मैथ्स व इंग्लिश के तीन शिक्षकों को एक हजार रुपए प्रतिमाह देकर रोज एक घंटा पढ़ाने के लिए तैयार किया।स्वयं इंग्लिश पढ़ाते और पत्नी सीमा मेघवाल (एमए, बीएड) बच्चों को सभी विषय पढ़ाने के साथ खेलकूद सिखाने लगी। बस्ती में अनाथ बच्चों का सर्वे कर उन्हें भी पढ़ाने लगे। तीन साल में ही बच्चों की संख्या 150 तक पहुंच गई। बच्चों के शैक्षणिक स्तर में जबर्दस्त सुधार हुआ। जो बच्चे गिनती नहीं जानते थे, वे गुणा-भाग कर रहे हैं। सामान्य ज्ञान में वे किसी से पीछे नहीं। उनकी राइटिंग में आश्चर्यजनक सुधार हुआ है।