जालंधर : दिल्ली में हुए सामूहिक दुष्कर्म कांड को लेकर उठे नारों की आवाज अब सीबीएसई स्कूलों की कक्षाओं में भी गूंजेगी। जेंडर इक्वालिटी व इम्पावरमेंट ऑफ गर्ल्स को लेकर सीबीएसई के स्कूलों के विद्यार्थी स्लोगन राइटिंग के माध्यम से बताएंगे कि लड़कियों को भी जीने का अधिकार है। इसको लेकर 13 जनवरी तक स्लोगन राइटिंग प्रतियोगिता करवाई जा रही है। बोर्ड ने इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर इस प्रतियोगिता में ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को भाग लेने के लिए उत्साहित करने का आग्रह किया है। स्कूलों के पिं्रसिपलों को सीबीएसई के डायरेक्टर (अकादमिक एंड ट्रेनिंग) की तरफ से जारी निर्देश में कहा गया है कि 2013 को राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल गर्ल चाइल्ड डे की गतिविधियों के रूप में पूरे साल सेलीब्रेट किया जाएगा। इस दौरान सीबीएसई स्कूलों में पढ़ने वाले 14 से 18 साल के विद्यार्थी स्लोगन के माध्यम से महिलाओं पर अपने विचार देंगे। विद्यार्थी हिंदी व अंग्रेजी में स्लोगन लिख सकते हैं।
ये स्लोगन.एनएमईडब्लूएट जीमेल.काम पर 13 जनवरी तक भेज सकते हैं। जो स्कूल ईमेल द्वारा विद्यार्थियों के स्लोगन नहीं भेज सकते वे एसपीए मीडिया एंड कम्यूनिकेशन डूमैन, नेशनल रिसोर्स सेंटर फॉर वूमेन, नेशनल मिशन फॉर इम्पारवमेंट फार वूमेन, मिनिस्टि्र ऑफ वूमेन एंड चाइल्ड डिवलपमेंट व फर्स्ट फ्लोर, एमडब्ल्यूसीडी हॉल होटल जनपथ नई दिल्ली के पोस्टल एड्रेस पर भेज सकते हैं। एमजीएन स्कूल की प्रिंसिपल सतवंत गाखल ने बताया कि विद्यार्थियों में इस प्रकार की गतिविधियां उनमें लड़कियों के प्रति सकारात्मक सोच पैदा करेंगी। सरकार की भी कोशिश है कि इस प्रतियोगिता के जरिये विद्यार्थियों की महिलाओं के प्रति सोच जानी जा सकेगी। इसके आधार पर इस संबंध में पाठ्यक्रम में बदलाव भी किए जा सकते हैं।
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=4&edition=2013-01-09&pageno=8
ये स्लोगन.एनएमईडब्लूएट जीमेल.काम पर 13 जनवरी तक भेज सकते हैं। जो स्कूल ईमेल द्वारा विद्यार्थियों के स्लोगन नहीं भेज सकते वे एसपीए मीडिया एंड कम्यूनिकेशन डूमैन, नेशनल रिसोर्स सेंटर फॉर वूमेन, नेशनल मिशन फॉर इम्पारवमेंट फार वूमेन, मिनिस्टि्र ऑफ वूमेन एंड चाइल्ड डिवलपमेंट व फर्स्ट फ्लोर, एमडब्ल्यूसीडी हॉल होटल जनपथ नई दिल्ली के पोस्टल एड्रेस पर भेज सकते हैं। एमजीएन स्कूल की प्रिंसिपल सतवंत गाखल ने बताया कि विद्यार्थियों में इस प्रकार की गतिविधियां उनमें लड़कियों के प्रति सकारात्मक सोच पैदा करेंगी। सरकार की भी कोशिश है कि इस प्रतियोगिता के जरिये विद्यार्थियों की महिलाओं के प्रति सोच जानी जा सकेगी। इसके आधार पर इस संबंध में पाठ्यक्रम में बदलाव भी किए जा सकते हैं।
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