रोहतक. हरियाणा में तकनीकी शिक्षा पाए युवाओं में नौकरी हासिल करने की योग्यता (इंप्लायोबलिटी) का स्तर बीस प्रतिशत से भी कम है।अधिकांश ऐसे छात्र हैं, जिनसे बात करने पर लगता है कि इसको बुलाना ही नहीं चाहिए था। हरियाणा के शिक्षण संस्थानों में जापान की तर्ज पर इन्क्यूबेशन सेंटर होना चाहिए, जहां बच्चे सामूहिक रूप से किसी प्रोजेक्ट पर काम कर सके। बच्चों को पांच साल की उम्र से तकनीकी शिक्षा की ओर मोड़ना होगा। इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियर और ब्रांडगेन के जीएमडी सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि इंजीनियरिंग के अधिकांश विद्यार्थियों का फाइनल आउटपुट (अंतिम परिणाम) कमजोर है। यहां डिग्री पर अधिक जोर है और एक इंजीनियर को जो चाहिए, उस पर कम। इंजीनियरिंग कॉलेजों को चार साल का प्रशिक्षण सेंटर बनाना चाहिए, न कि डिग्री हासिल करने की फैक्टरी। उन्होंने कहा कि हरियाणा के युवक काबिल तो हैं पर नौकरी ऑफर किया जाए उतने काबिल नहीं है। वैसे कुछ युवा बेहद जीनियस हैं और उन्हें शुरू में भी अच्छा पैकेज पर रखने के लिए कंपनियां लालायित रहेंगी। उन्होंने दो टूक कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र की सोच वैश्विक है और उस मुकाबले हम पिछड़े हुए हैं। हरियाणा दिल्ली के नजदीक है और यहां के लोग जुनूनी हैं। सोनीपत से गुड़गांव तक बड़ा बाजार है, ऐसे में सही दिशा मिले तो यहां के युवा अद्वितीय प्रदर्शन कर सकते हैं।