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लेट फीस पर रोज 5 पैसे से अधिक जुर्माना नहीं

नई दिल्ली : राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में स्कूल फीस जमा करने में होने वाली देरी पर पांच पैसे प्रतिदिन से अधिक का जुर्माना स्कूल प्रशासन द्वारा नहीं वसूल किया जा सकता। दिल्ली स्कूल एजूकेशन रूल के इस नियम के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग को निर्देश जारी किया है कि वह इसकी सूचना सभी प्राइवेट स्कूलों को जारी करे। जिससे कि इस नियम की जानकारी राजधानी के सभी स्कूल संचालकों को हो सके। उच्च न्यायालय के जस्टिस जीएस सिस्तानी ने इस सूचना को जारी करने में पहले की जा चुकी देरी के संबंध में शिक्षा निदेशक पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। उच्च न्यायालय ने यह फैसला आनंद पर्वत निवासी राकेश यादव द्वारा दायर एक याचिका पर सुनाया है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली स्कूल एजूकेशन रूल्स 1973 की धारा 166 के तहत दिल्ली सरकार ने यह तय किया हुआ है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल अभिभावकों द्वारा फीस जमा करने में हुई देरी पर पांच पैसे प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना ले सकता है। इससे अधिक की राशि बच्चों के अभिभावकों से नहीं वसूली जा सकती। ऐसे में सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह इस नियम की सूचना सभी स्कूल संचालकों को जारी करे ताकि कोई भी स्कूल प्रशासन बच्चों के अभिभावकों से अधिक रकम न वसूले। चूंकि इस मामले में उच्च न्यायालय डेढ़ वर्ष पूर्व ही यह सूचना जारी करने का आदेश दे चुकी है, मगर उसका पालन शिक्षा निदेशक ने नहीं किया। इस लापरवाही के कारण उन पर जुर्माना लगाया जाता है। उल्लेखनीय है कि आनंद पर्वत निवासी राकेश यादव ने वर्ष 2010 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि उसकी बेटी 12वीं कक्षा में और बेटा आठवीं कक्षा में रामजस स्कूल में पढ़ते हैं। किसी कारण से वह उक्त दोनों की स्कूल फीस समय पर जमा नहीं करा पाया। स्कूल प्रशासन ने उस पर देरी से फीस जमा कराने को लेकर 560 रुपये जुर्माना लगा दिया, जबकि दिल्ली स्कूल एजूकेशन रूल्स के अनुसार पांच पैसे प्रतिदिन से अधिक जुर्माना नहीं लिया जा सकता। इस हिसाब से उसका केवल 2 रुपये 80 पैसे ही जुर्माना बनता है। लिहाजा, स्कूल को निर्देश जारी किया जाए कि वह उसकी राशि लौटाए। उच्च न्यायालय ने स्कूल प्रशासन को रुपये लौटाने और शिक्षा निदेशक को मामले के संबंध में सभी प्राइवेट स्कूलों को सूचना जारी करने के निर्देश दिए थे ताकि सभी को इस सबंध में जानकारी हो जाए और वे फीस लेट होने पर अधिक जुर्माना नहीं वसूलें।
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=49&edition=2012-12-07&pageno=2