भोपाल। कभी जनगणना, चुनाव तो कभी मतगणना। मास्टरजी, ये सब काम करें तो बच्चों को पढ़ाएं कब? लगता है सरकार को भी यह बात समझ आ गई है। यही वजह है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय देश के सरकारी स्कूलों का सर्वे कर वहां मास्टरजी और बच्चों की गैरहाजिरी के दिन पता करने में जुटा है। राजधानी के 20 व प्रदेश के 400 स्कूलों को सर्वे में शामिल किया जा रहा है। राज्य शिक्षा केंद्र की आयुक्त रश्मि अरुण शमी ने सभी जिलों के कलेक्टरों से कहा है वे मानव संसाधन मंत्रालय के इस अध्ययन के लिए अपने जिले के स्कूलों का चयन करें। सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए यह अध्ययन किया जा रहा है। यह अध्ययन मप्र सहित 27 राज्यों में प्राइमरी और मिडिल स्कूलों की स्थिति जानने के लिए हो रहा है।
इन आधारों पर सर्वे -
विद्यार्थियों की स्कूल में उपस्थिति की दर क्या है? ञ्च छात्र व छात्राओं की उपस्थिति में कितना अंतर है? विद्यार्थी किन सामाजिक समूह से हैं? किस श्रेणी के हैं तथा वे ग्रामीण क्षेत्र से हैं या शहरी? ञ्च स्कूलों में मिलने वाले मिड-डे मील के पहले और बाद की स्थिति में उपस्थिति का अंतर कितना है? ञ्च स्कूल में शिक्षकों की उपस्थिति का प्रतिशत कितना रहा? ञ्च महिला और पुरुष शिक्षकों की उपस्थिति का अंतर किस तरह रहा? नियमित और संविदा शिक्षकों के बीच अंतर कितना है? शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति का आंकड़ा क्या रहा?रिपोर्ट के बाद बनेगा एक्शन प्लान: - रिपोर्ट के बिंदुओं के आधार पर शिक्षकों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम, शिक्षकों की अनुपस्थिति के दौरान विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए किए जाने वाले इंतजाम और विद्यार्थियों और शिक्षकों की अनुपस्थिति में कमी लाने के उपाय, आदि पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय एक्शन प्लान बनाएगा।http://www.bhaskar.com/article/MP-BPL-teachers-teach-how-much-days-to-students-4042864-NOR.html