जयपुर.कन्या भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा के दुष्परिणामों को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। सरकार ने गुरुवार को पीसीपीएनडीटी एक्ट को प्रभावी बनाने के लिए दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को यह विश्वास दिलाया। राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता आरपी सिंह ने अदालत में कहा कि प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा के सामाजिक विज्ञान विषय के पाठयक्रम में इन मुद्दों को शामिल किया जाएगा। इस पर मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश एनके जैन की खंडपीठ ने अधिवक्ता एसके गुप्ता की जनहित याचिका निस्तारित कर दी। कोर्ट ने आदेश दिए कि इस मामले में पहले दिए गए अंतरिम आदेशों को स्थायी माना जाए. सरकार को निर्देश दिए कि वह चार महीने में इस याचिका में उठाए गए पीसीपीएनडीटी एक्ट संबंधी बिंदुओं को निपटाए।
यह अंतरिम आदेश अब स्थायी होंगे
30 मार्च 2012: हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश में पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत दर्ज भ्रूण लिंग परीक्षण मामलों में दो महीने में अनुसंधान पूरा करने और अदालतों में लंबित मुकदमों में दो महीने में आरोप तय करने के निर्देश दिए थे। सभी जिला व सेशन न्यायाधीश को भी निर्देश दिए थे कि जिन लंबित मामलों में आरोप तय नहीं हो पाए हैं उनमें तीन महीने में आरोप तय करें। http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-be-taught-in-schools-female-infanticide-and-dowry-problem-text-3999658-NOR.html