रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य मदरसा बोर्ड का कामकाज केवल परीक्षा लेने तक ही सिमट कर रह गया है। 2003 में बोर्ड का गठन होने के नौ साल बाद उपलब्धियों के नाम पर बोर्ड के पास कागजी योजनाओं के अलावा कुछ नहीं है। ज्यादातर प्लान फाइलों में ही दम तोड़ चुके हैं। राज्य के मदरसे आधुनिक शिक्षा से कोसों दूर हैं। इनमें कंप्यूटर शिक्षा देने की योजना भी फेल हो चुकी है। मदरसा बोर्ड के कामकाज की अफसरों ने सालों से समीक्षा की नहीं की है।राजधानी में ही एक दर्जन में ज्यादा मदरसों में कंप्यूटर शिक्षा शुरू नहीं हो पाई है। बोर्ड के गठन के बाद अब तक इसकी वेबसाइट तक नहीं बनी है। इस वजह से छोटे-छोटे कामों के लिए भी दूर दराज के जिलों से बच्चों को बार-बार रायपुर आना पड़ता है।
मदरसा बोर्ड की अंकसूची माध्यमिक शिक्षा मंडल की अंकसूची के समकक्ष मानी जाती है। इसके बाद भी छात्रों की संख्या एक हजार की आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई है। हर साल 10वीं और 12वीं की परीक्षा बोर्ड आयोजित करता है। इसमें भी छात्रों की संख्या 300 के पार नहीं हो पाती।http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-madrasa-board-examinations-3766457.html
मदरसा बोर्ड की अंकसूची माध्यमिक शिक्षा मंडल की अंकसूची के समकक्ष मानी जाती है। इसके बाद भी छात्रों की संख्या एक हजार की आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई है। हर साल 10वीं और 12वीं की परीक्षा बोर्ड आयोजित करता है। इसमें भी छात्रों की संख्या 300 के पार नहीं हो पाती।http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-madrasa-board-examinations-3766457.html