चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक याचिका का निपटारा करते हुए चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, एमडी विश्वविद्यालय रोहतक को निर्देश दिया है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र में जांच दल का गठन करें जो सभी सेल्फ फाइनेंस बीएड कॉलेजों का निरीक्षण करे व इस बात की जांच करें कि कोई भी कॉलेज एनसीटीई द्वारा तय नियमों की अवेहलना न करे। कोर्ट के आदेश के अनुसार विवि जांच दल नियमों के खिलाफ चल रहे कॉलेज को नोटिस जारी कर उसका पक्ष सुन कर मान्यता तक खत्म कर सकता है व कोई अन्य कार्रवाई भी कर सकता है। नियमों की पालना करने वाले कॉलेज को जांच दल प्रमाणपत्र देगा। इस मामले में एनसीटीई ने कोर्ट को बताया कि उसने भी कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के चार सौ से ज्यादा कॉलेज की जांच की है। कोई ने एनसीटीई को भी अपने स्तर पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में मांग की थी वह उन सभी सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों की मान्यता वापस ले जो नियमों के खिलाफ चल रहें हैं।
प्रदेश में 2004 से पहले कुछ ही बीएड कॉलेज थे लेकिन उसके बाद कॉलेजों की बाढ़ आ गई। इन सभी को सरकार ने इसी आधार पर खोलने की इजाजत दी थी कि ये कॉलेज अच्छी शिक्षा के साथ भविष्य के लिए अच्छे टीचर तैयार करेंगे लेकिन इसके विपरीत ऐसा कुछ नही हुआ वरन इन कालेज ने शिक्षा के नाम पर दुकानदारी शुरू कर दी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि सभी कालेज अस्थाई मान्यता के भरोसे चल रहे है अभी तक राज्य में चल रहे 456 कालेज में से केवल दो ही कालेज ने स्थाई मान्यता के लिए आवेदन किया है। याचिका में कहा गया है कि अधिकतर कॉलेजों के पास उचित इमारत नही हैं और ना ही विश्र्वविद्यालयों के पास इनके छात्रों व अध्यापकों की जानकारी है।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=8&edition=2012-09-19&pageno=5#id=111750408372585544_8_2012-09-19
प्रदेश में 2004 से पहले कुछ ही बीएड कॉलेज थे लेकिन उसके बाद कॉलेजों की बाढ़ आ गई। इन सभी को सरकार ने इसी आधार पर खोलने की इजाजत दी थी कि ये कॉलेज अच्छी शिक्षा के साथ भविष्य के लिए अच्छे टीचर तैयार करेंगे लेकिन इसके विपरीत ऐसा कुछ नही हुआ वरन इन कालेज ने शिक्षा के नाम पर दुकानदारी शुरू कर दी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि सभी कालेज अस्थाई मान्यता के भरोसे चल रहे है अभी तक राज्य में चल रहे 456 कालेज में से केवल दो ही कालेज ने स्थाई मान्यता के लिए आवेदन किया है। याचिका में कहा गया है कि अधिकतर कॉलेजों के पास उचित इमारत नही हैं और ना ही विश्र्वविद्यालयों के पास इनके छात्रों व अध्यापकों की जानकारी है।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=8&edition=2012-09-19&pageno=5#id=111750408372585544_8_2012-09-19