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झुग्गियों में ज्ञान गंगा

हिसार : भगीरथ ने जिस तरह पतित पावनी गंगा का रुख जनकल्याण के लिए धरती की तरफ कर दिया था वैसे यहां ज्ञान की गंगा का रुख झुग्गियों की ओर मोड़ दिया गया है। यह कार्य किया सात प्रबुद्ध जनों ने। नतीजतन, भीख मांगने, कूड़ा बीनने वाले हाथों ने किताब व कापियां थाम ली हैं। कूड़ा लादने वाली मासूम पीठ पर किताबों से भरा बस्ता आ गया है। झुग्गियों में ज्ञान-गंगा बहाने वाले सात प्रबुद्ध नागरिकों में डाइट के प्रभारी बलजीत सहरावत बताते हैं कि जब कभी भीख मांगता कोई बच्चा मिल जाता तो उसके माता-पिता से वह जाकर मिलते हैं। उन्हें मनोवैज्ञानिक तौर पर समझाते हैं और फिर बच्चों को स्कूल भेजते हैं।
भीख मांगने या कूड़ा बीनने वाले बच्चों को स्कूली शिक्षा से जोड़ने की नेक मुहिम में राजकीय कालेज से सेवानिवृत्त प्रोफेसर जीआर गोदारा, एएसआइ सज्जन कुमार, एडवोकेट राजेश जाखड़, मनोविज्ञानी डा. ताज पनिकर, राजेंद्र यादव व सामाजिक कार्यकर्ता रमेश वर्मा जुटे हुए हैं। अब अरुण, अर्जुन, सोहेल, सिद्धांत, रोहन, रावल, अजय, सौरभ या अभय जैसे लगभग 200 बच्चों में भविष्य के सुनहरे सपने तैरने लगे हैं। सिद्धांत बताता है कि उसे इंजीनियर बनना है, रोहन डाक्टर बनना चाहता है। अरुण कहता है कि वह पढ़-लिखकर वकील बनेगा।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=8&edition=2012-06-10#id=111742626371221176_8_2012-06-10