आलीराजपुर। 2011 की जनगणना के आंकड़ों ने उजागर किए हैं देश के चार कलंक। इन्हीं में एक है, मध्यप्रदेश का आलीराजपुर। यह कड़वा सच सामने आए भी एक साल हो गया। दैनिक भास्कर ने तय किया कि समाज से जुड़े इन संवेदनशील मुद्दों पर बदलाव लाने के लिए देश भर के पाठकों को जोड़ेंगे। वर्ना देश 2021 की जनगणना में फिर इन्हीं बातों को दोहराकर दु:खी हो रहा होगा। सबसे ज्यादा पिछड़े कट्ठीबाड़ा ब्लाक का अरठी गांव। सरकारी स्कूल की लावारिस इमारत में नवल के परिवार का डेरा है। नवल की बेटी मीरा दूसरी कक्षा में है। पढ़ाई का कोई ठीक-ठिकाना नहीं। वह पढ़े तो कैसे? उसके मां-बाप यहां रहते ही कितना हैं? शादियों का मौसम है इसलिए इन दिनों गांव गुलजार हैं। काम की तलाश में गुजरात गए आदिवासी गांवों में लौटे हुए हैं
उजला अतीत : ब्रिटिश काल की एक छोटी सी रियासत। भील-भिलाला आदिवासी बहुल। गुजरात-महाराष्ट्र की सीमा से सटा समृद्ध पहाड़ी इलाका। आम की पैदावार में आगे।
37% साक्षरता वाले इस जिले की करीब आधी आबादी काम की तलाश में आठ माह के लिए पलायन करती है।
31 फीसदी लड़कियां ही पढ़-लिख पाती हैं यहां।http://www.bhaskar.com/article/MP-GWA-minimum-education-in-aalirajpur-3324606.html
उजला अतीत : ब्रिटिश काल की एक छोटी सी रियासत। भील-भिलाला आदिवासी बहुल। गुजरात-महाराष्ट्र की सीमा से सटा समृद्ध पहाड़ी इलाका। आम की पैदावार में आगे।
37% साक्षरता वाले इस जिले की करीब आधी आबादी काम की तलाश में आठ माह के लिए पलायन करती है।
31 फीसदी लड़कियां ही पढ़-लिख पाती हैं यहां।http://www.bhaskar.com/article/MP-GWA-minimum-education-in-aalirajpur-3324606.html