रायपुर. शिक्षा सत्र 2008-09 और 2009-10 में शोध के लिए पंजीकृत या इस दौरान पीएचडी की उपाधि लेने वाले शोधार्थियों की डिग्री की वैधता तय करने के लिए पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने तीन सदस्यीय समिति बनाई है। यह समिति नियमों का अध्ययन करेगी। उनके सुझाव के बाद समस्याओं का समाधान किया जाएगा। यूजीसी ने 2009 में गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए प्रवेश परीक्षा के माध्यम से शोध उपाधि के लिए छात्रों के चयन की बात कही थी। इस पर कार्यपरिषद और समन्वय समिति की बैठक में विचार किया गया। इसके बाद नियम लागू करने में ढाई साल लगे। इस पर सदस्यों ने नियम का फिर से अध्ययन करने और 2009 की उपाधि को मान्य करने संबंधी चर्चा करने पर विचार किया । अपर संचालक उच्च शिक्षा डॉ. आरबी सुब्रrाण्यम, बालोद के कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एमआई मेमन और गणित विभाग के अध्यक्ष डॉ. बीके शर्मा की समिति बनाई गई। समिति एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट जमा करेगी।
इसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।कार्यपरिषद में सदस्यों के सामने मुद्दे को रखते हुए कहा गया कि यूजीसी के नए नियम के अनुसार 2009 में पीएचडी करने वालों की डिग्री सिर्फ डिग्री बनकर रह जाएगी। इसकी बदौलत न तो सहायक प्राध्यापक की नौकरी मिल पाएगी, यदि कोई सेवा कर रह हो तो उसकी पदोन्नति या क्रमोन्नति भी नहीं हो पाएगी। ऐसे में बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। छात्रों की उपाधि राज्य के बाहर मान्य नहीं हो पाएगी। उन्हें छत्तीसगढ़ में संचालित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी सेवा का अवसर नहीं मिल पाएगा। ऐसे में दूसरे राज्यों में सेवा का अवसर मिलने में संदेह रहेगा। समिति नियमों का अध्ययन कर इन्हीं समस्याओं का हल ढूंढ़ेगी।http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-sword-hangs-on-the-validity-of-research-degree-3333945.html
इसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।कार्यपरिषद में सदस्यों के सामने मुद्दे को रखते हुए कहा गया कि यूजीसी के नए नियम के अनुसार 2009 में पीएचडी करने वालों की डिग्री सिर्फ डिग्री बनकर रह जाएगी। इसकी बदौलत न तो सहायक प्राध्यापक की नौकरी मिल पाएगी, यदि कोई सेवा कर रह हो तो उसकी पदोन्नति या क्रमोन्नति भी नहीं हो पाएगी। ऐसे में बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। छात्रों की उपाधि राज्य के बाहर मान्य नहीं हो पाएगी। उन्हें छत्तीसगढ़ में संचालित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी सेवा का अवसर नहीं मिल पाएगा। ऐसे में दूसरे राज्यों में सेवा का अवसर मिलने में संदेह रहेगा। समिति नियमों का अध्ययन कर इन्हीं समस्याओं का हल ढूंढ़ेगी।http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-sword-hangs-on-the-validity-of-research-degree-3333945.html