जोधपुर.हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश कैलाशचंद्र जोशी की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से प्रधानाध्यापक पद के लिए सीधी भर्ती के लिए मार्च 2011 में किए गए संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के तहत शिक्षा विभाग के प्रमुख शिक्षा सचिव व निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।गंगानगर के द्वितीय श्रेणी शिक्षक सचिन गोस्वामी की याचिका पेश करते हुए अधिवक्ता ने अदालत में कहा कि राज्य सरकार ने स्कूलों में प्रधानाध्यापकों के 50 प्रतिशत पदों के लिए द्वितीय व तृतीय दोनों ही श्रेणी के शिक्षक 5 वर्ष के अनुभव के पश्चात सीधी भर्ती में शामिल हो सकें ऐसा प्रावधान कर दिया है।
जब तृतीय श्रेणी शिक्षक प्रधानाध्यापक के रूप में पदोन्नत होने का पात्र ही नहीं है तो उसे सीधी भर्ती में कैसे शामिल किया जा सकता है। तृतीय श्रेणी शिक्षक का चयन द्वितीय श्रेणी शिक्षक के रूप में हो सकता है, उसके बाद वह प्रधानाध्यापक पद के लिए योग्यता प्राप्त कर सकता है। वैसे भी यह संशोधन नए पद सृजित होने के बाद का है। इसलिए इसे निरस्त किया जाए।http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JOD-how-could-the-hadmastr-third-class-teacher-3161687.html?C3-RAJ=