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गरीबी कोटे की बढ़ी फीस भरेगी सरकार

नई दिल्ली : शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के तहत राजधानी के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए दिल्ली सरकार अधिकतम फीस में बढ़ोतरी कर सकती है। निजी स्कूलों को दिल्ली सरकार अधिकतम प्रति बच्चा 1190 प्रति भुगतान कर रही है। अभी तक स्कूल वाले इसलिए चुप थे कि उन्हें लग रहा था सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत मिल जाएगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गरीबी कोटे के मामले में उन्हें राहत न देते हुए हर हाल में 25 फीसदी गरीबी कोटे को लागू करने का आदेश सुना दिया। इसके बाद अब निजी स्कूल दिल्ली सरकार पर यह कह कर दबाव बना रहे हैं कि सरकार या तो गरीबी कोटे की फीस बढ़ाए या अन्यथा वे सामान्य बच्चों की फीस में और ज्यादा इजाफा कर देंगे। शिक्षा निदेशालय के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस सत्र में गरीब बच्चों के जो दाखिले हुए हैं, उनके भुगतान के लिए फीस बढ़ाई जा रही है। इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने निजी स्कूलों की मांग पर गंभीरता से विचार करने के बाद यह फैसला लिया है। फीस कितनी बढ़ेगी इसकी घोषणा मई के दूसरे सप्ताह में सरकारी तौर पर कर दी जाएगी। दरअसल निजी स्कूलों में दो सालों से गरीबी कोटे के तहत 25 फीसदी गरीब बच्चों का दाखिला हो रहा है।
इसमें राजधानी के वे 100 पब्लिक स्कूल भी शामिल हैं, जहां फीस 5 हजार से 10 हजार रुपये तक है। 100 ऐसे स्कूल हैं, जहां फीस 3 से 5-6 हजार रुपये है। इन स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए सरकारी फीस 1190 है। यह इन स्कूलों को परेशानी का बड़ा कारण है। कुछ नामचीन स्कूलों के प्रिंसिपलों ने अनौपचारिक बातचीत में बताया कि यह भला कैसे हो सकता है कि हम सामान्य बच्चे से 3 से 10 हजार फीस ले रहे हैं और सरकार उन स्कूलों को भी 1190 दे रही है। सरकार 3 सौ से लेकर 1190 रुपए का भुगतान करती है। दिल्ली पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार को हर हाल में उन स्कूलों की फीस बढ़नी चाहिए जिनके यहां ज्यादा फीस हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो स्कूलों को मजबूरन सामान्य बच्चों की फीस बढ़ानी पड़ेगी।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=49&edition=2012-04-27&pageno=2