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स्कूलों की फीस में जमीन आसमान का अंतर

हरियाणा : सरकारी व निजी स्कूलों की फीस की तुलना की जाए तो इसमें जमीन आसमान का अंतर है। पहली से आठवीं तक निश्शुल्क शिक्षा, नौवीं से दसवीं तक 25 रुपये प्रतिमाह व दाखिला शुल्क शून्य रखा गया है। जबकि 11वीं व 12वीं के लिए कला संकाय के लिए 50 रुपये प्रतिमाह, वाणिज्य संकाय में 60 रुपये और विज्ञान संकाय के लिए 75 रुपये प्रतिमाह शुल्क रखा गया है। जबकि दाखिला शुल्क मात्र दो रुपये, बाल कल्याण निधि व रेडक्रास निधि के रूप में 50 रुपये वार्षिक फीस लिया गया है। वहीं निजी स्कूलों की दाखिला व मासिक फीस अलग-अलग है। कहीं दो हजार रुपये में भी दाखिला है तो कहीं पांच हजार रुपये में। जबकि मासिक फीस सात सौ रुपये से लेकर 1500 रुपये तक है। कक्षा बढ़ने के साथ ही दाखिला व मासिक फीस बढ़ती जाती है। इसमें भी सीबीएसइ का नियम देखें तो पता चलता है कि स्कूल प्रबंधन बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं को आधार में रखकर फीस तय कर सकते हैं। इसके अलावा फीस बढ़ाने से पहले निजी स्कूलों को 31 दिसंबर तक फार्म नंबर छह भरकर शिक्षा विभाग को जमा करवाना पड़ता है।
यदि सरकार को इस पर कोई एतराज नहीं होता है तो निजी स्कूल संचालक नए शिक्षण सत्र से फीस बढ़ा सकते हैं। क्या है 134 ए नियमावली हरियाणा स्कूल एजूकेशन नियमावली 2003 के 134 ए के तहत आर्थिक रूप से कमजोर तबके के मेधावी छात्रों को फीस में रियायत देने का प्रावधान है। इस नियमावली के सेक्शन 24 (2) व 15 में निजी मान्यता प्राप्त स्कूलों को 25 फीसद सीटें गरीब मेधावी बच्चों के लिए आरक्षित रखनी है। बच्चे सरकारी स्कूल के समान ही निजी मान्यता प्राप्त विद्यालयों में फीस का भुगतान करेंगे। शपथपत्र देकर लें आठवीं कक्षा तक दाखिला पहली से आठवीं कक्षा तक दाखिला लेने की प्रक्रिया बेहद ही सरल हो चुकी है। स्कूल में दाखिला लेने के लिए बच्चे का जन्मतिथि प्रमाण पत्र जमा करवाना होता है। यदि यह प्रमाण पत्र भी नहीं है तो अभिभावक इसकी एवज में शपथ पत्र देकर भी बच्चे का दाखिला किसी भी स्कूल में करवा सकते हैं। जबकि नौवीं से 12वीं कक्षा तक दाखिले के लिए चरित्र प्रमाण पत्र, स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट व मार्कशीट का होना जरूरी है।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=8&edition=2012-04-09&pageno=9