नई दिल्ली : अगले साल राष्ट्रीय स्तर पर एकल संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर गहराते विवाद को सुलझाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। खुद को इस नई व्यवस्था से अलग रखने की वकालत करने वाले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटी) की मान-मनौवल शुरू हो चुकी है। खुद को हाई प्रोफाइल और ब्रांड मानने वाले कई आइआइटी को इस नए कदम से अपनी अहमियत कम होने का डर सता रहा है। आइआइटी एवं अन्य केंद्रीय इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिले की इस नई व्यवस्था पर 2013 से अमल की कार्ययोजना तैयार हो जाने के बाद आइआइटी दिल्ली, मुंबई और कानपुर की एकेडमिक सीनेट की ओर से उसे नामंजूर किए जाने से सरकार के भी माथे पर बल है। इन आइआइटी को मनाने की कोशिशें हो रही हैं। इसके लिए दो समितियां भी बना दी गई हैं।
एक समिति में आइआइटी-कानपुर के संचालक मंडल के चेयरमैन प्रो. अनंत कृष्णन, आइआइटी-गुवाहाटी के निदेशक गौतम बरुआ और आइआइटी-खडगपुर के निदेशक प्रो. दामोदर आचार्य हैं।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=8&edition=2012-04-10&pageno=9
एक समिति में आइआइटी-कानपुर के संचालक मंडल के चेयरमैन प्रो. अनंत कृष्णन, आइआइटी-गुवाहाटी के निदेशक गौतम बरुआ और आइआइटी-खडगपुर के निदेशक प्रो. दामोदर आचार्य हैं।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=8&edition=2012-04-10&pageno=9