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फिर लटकी यूजीसी चेयरमैन की नियुक्ति

नई दिल्ली : बीते लगभग डेढ़ साल से उच्च शिक्षा में सुधार के मामले में संसद से कई जरूरी विधेयकों को पारित कराने में नाकाम रही सरकार दूसरे मोर्चो पर भी कुछ खास नहीं कर पा रही है। आलम यह है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) जैसा प्रमुख निकाय भी एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी नियमित चेयरमैन के बगैर ही चल रहा है। इस बीच, नए चेयरमैन के चयन के तौर-तरीकों पर सवाल उठने के चलते प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने उस पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सफाई मांगी है। सूत्रों के मुताबिक यूजीसी के नियमित चेयरमैन के लिए मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय की ओर से आइआइएम-बेंगलूर के निदेशक डॉ. पंकज चंद्रा और आइआइटी दिल्ली के प्रो एसई हसनैन के नामों के प्रस्ताव पर पीएमओ सहमत नहीं है। चर्चा है कि कुछ कॉरपोरेट घराने पंकज चंद्रा की पैरवी कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो पीएमओ को भेजे प्रस्ताव में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी पंकज चंद्रा के नाम की ही संस्तुति की है।
इसे उच्च शिक्षा में निजीकरण की राह आसान करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। दूसरी तरफ अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ प्रभावी मुस्लिम सांसद प्रो. हसनैन की लामबंदी कर रहे हैं। प्रो. हसनैन को यूजीसी का चेयरमैन बनाने के लिए प्रधानमंत्री तक से पैरवी करने की बात कही जा रही है। उनके पैरोकारों का कहना है कि वे देश में फिंगर प्रिंट के मशहूर विशेषज्ञ हैं और पद्मश्री विभूषित हैं। हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं। उन्हें चेयरमैन बनाना हर लिहाज से ठीक रहेगा। बताते हैं कि पंकज चंद्रा और प्रो. हसनैन को लेकर की गई लामबंदी और उठाए गए सवालों के चलते पीएमओ अब इस चयन की तह में जाना चाहता है।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=9&edition=2012-04-12&pageno=9