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केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 40% पद रिक्त


उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की भारी कमी के चलते शिक्षा की गुणवत्ता व छात्रों की संख्या (जीईआर) बढ़ाने में सफलता नहीं मिल पा रही है।देश भर में विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 16,602 पद रिक्त पड़े हैं। इनमें से 6,542 पद अकेले केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली हैं। नए शिक्षकों की भर्ती में असफल होने के बाद केंद्र सरकार ने शिक्षकों की संख्या में और कमी को रोकने के लिए उनके रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर 70 साल कर दी है।देश के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों का यह टोटा अचानक नहीं पैदा हुआ है। लगातार शिक्षा के स्तर में गिरावट के चलते प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी काफी समय से बनी हुई है। अयोग्य लोगों को शिक्षक के रूप में भर्ती की शिकायतों पर यूजीसी ने शिक्षकों के लिए मानक थोड़े कड़े कर दिए, जिसके कारण भी रिक्त पदों पर भर्ती कम हो पा रही है।मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के सभी 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में लगभग 40 प्रतिशत शिक्षकों की सीटें रिक्त हैं। इस संख्या में और कमी न हो इसके लिए 23 मार्च 2007 में एक आदेश जारी कर शिक्षकों के अवकाशप्राप्त करने की उम्र 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई थी।साथ ही यह भी निर्देश दिए गए कि अगले पांच साल के लिए अनुबंध के आधार पर शिक्षकों को नियुक्त रखा जा सकता है। इस तरह 70 साल की उम्र सीमा रखे जाने के कारण पिछले कुछ सालों से केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की संख्या लगभग स्थिर है, लेकिन नई भर्ती के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है।मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए अनुबंध के आधार पर शिक्षकों को रखे जाने का निर्देश सभी विश्वविद्यालयों को दिया गया है। इसके साथ ही स्वीकृत पदों पर शिक्षकों की भर्ती करने को भी कहा गया है। प्रतिभावान छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र से जोड़ने के लिए फेलोशिप की दरें बढ़ाने के साथ ही शिक्षकों के वेतनमान को भी काफी आकर्षक कर दिया गया है।http://www.amarujala.com/national/nat-central-universities-have-40-Percent-teaching-posts-vacant-26595.html