एमबीबीएस की 100 से 150 सीटों पर मचा बवाल
शिमला। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की 100 सीटों को बढ़ा कर 150 करने के प्रस्ताव पर बवाल हो गया है। कालेज काउंसिल की बैठक में इस प्रस्ताव के लाते ही अधिकांश प्रोफेसर इसके विरोध में खड़े हो गए। उनका दावा था कि जब तक कालेज में मूल भूत सुविधाएं पूरी न हों तब तक सीटें बढ़ाने को मंजूरी देना समझदारी नहीं। आधारभूत ढांचे की कमी से पहले ही कालेज जूझ रहा है। संसाधनों की कमी के कारण खींचतान कर 100 सीटें चलाई जा रही हैं, अब 50 सीटें और बढ़ाकर स्वास्थ्य शिक्षा से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। बैठक में मौजूद सदस्यों ने साफ किया कि वह सीटें बढ़ाने के विरोध में नहीं है, यह गर्व की बात है। लेकिन, छात्रों को पढ़ाएंगे कैसे? मेडिकल साइंस की पढ़ाई के लिए तरह-तरह के संसाधनों की जरूरत रहती है। मौजूदा समय में भी कई खामियां हैं, जब तक इन्हें दुरुस्त नहीं किया जाएगा तब तक सीटें बढ़ाने पर सहमति छात्रों के भविष्य से सीधे तौर पर खिलवाड़ होगा। सेमडीकोट के महासचिव डा. राजेश कश्यप ने कहा कि मेडिकल कालेज के लिए अलग से सेटेलाइट टाउन बनाए जाएं।
क्लीनिकल स्टडी के लिए मशोबरा या घणाहटी में सरकारी जमीन पर इसका निर्माण संभव है। दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल को अटैच किया जा सकता है। इसके अलावा डेंटल कालेज को अलग किया जाए और इसे धर्मशाला शिफ्ट करें। अस्थाई तौर असिस्टेंट प्रोफेसर की स्थायी नियुक्ति हो। प्रोफेसर और एसोसिएट के पद भरें जाएं। ये व्यवस्थाएं होने के बाद एमबीबीएस की 150 सीटें चलाना मुश्किल नहीं होगा।http://epaper.amarujala.com/svww_index.php