नई दिल्ली. राजधानी के 2820 सरकारी स्कूलों की कमान 440 प्रधानाचार्यो व 803 उपप्रधानाचार्यो के हाथों में है। यह आंकड़ा स्वयं दिल्ली के शिक्षा मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने दिया किया है, जिससे साफ हो जाता है कि राजधानी के सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्यो का टोटा बना हुआ है। लवली की ओर से जारी आंकड़ों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि साल-दर-साल बेहतर होते परीक्षा परिणामों में सरकार के मुकाबले छात्रों का व्यक्तिगत योगदान ज्यादा है। शिक्षकों की बात करें तो सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या 39 हजार 894 है, जबकि 2820 सरकारी, 1995 गैर सरकारी व 258 सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 39.20 लाख है। यानी कक्षाओं में करीब 100 छात्रों पर एक ही शिक्षक है।
ऐसे में हर छात्र पर शिक्षक का कितना ध्यान जाता होगा यह चिंता का विषय है। एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सरकारी स्कूलों की स्थिति आंकड़ों में जैसी नजर आती है वैसा ही हाल जमीनी स्तर पर है। प्रतिभा विकास विद्यालयों को छोड़ दें तो सरकारी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अुनपात चिंता का विषय है। दिल्ली में लागू मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून की बात करें तो आठवीं तक की पढ़ाई को देखते हुए लागू इस कानून के तहत 35 छात्रों पर एक शिक्षक का होना जरूरी है, लेकिन कक्षाओं में यह संख्या 90 के पार है।स्कूल प्रिंसिपल का कहना है कि सरकारी प्रयासों पर नजर डालें तो हाल ही में सर्व शिक्षा अभियान के तहत आंकड़े सुधारने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से 3761 टीजीटी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया अंजाम दी जा रही है। जब भी शिक्षकों की कमी की बात प्रिंसिपल करते हैं तो उन्हें यही कहा जाता है कि जल्द शिक्षक उपलब्ध कराए जाएंगे। http://www.bhaskar.com/article/DEL-440-principals-of-public-schools-in-the-capital-in-the-hands-of-command-2751509.html
ऐसे में हर छात्र पर शिक्षक का कितना ध्यान जाता होगा यह चिंता का विषय है। एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सरकारी स्कूलों की स्थिति आंकड़ों में जैसी नजर आती है वैसा ही हाल जमीनी स्तर पर है। प्रतिभा विकास विद्यालयों को छोड़ दें तो सरकारी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अुनपात चिंता का विषय है। दिल्ली में लागू मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून की बात करें तो आठवीं तक की पढ़ाई को देखते हुए लागू इस कानून के तहत 35 छात्रों पर एक शिक्षक का होना जरूरी है, लेकिन कक्षाओं में यह संख्या 90 के पार है।स्कूल प्रिंसिपल का कहना है कि सरकारी प्रयासों पर नजर डालें तो हाल ही में सर्व शिक्षा अभियान के तहत आंकड़े सुधारने के लिए दिल्ली सरकार की ओर से 3761 टीजीटी शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया अंजाम दी जा रही है। जब भी शिक्षकों की कमी की बात प्रिंसिपल करते हैं तो उन्हें यही कहा जाता है कि जल्द शिक्षक उपलब्ध कराए जाएंगे। http://www.bhaskar.com/article/DEL-440-principals-of-public-schools-in-the-capital-in-the-hands-of-command-2751509.html