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पुराने प्रश्नपत्र सार्वजनिक करे एम्स

नई दिल्ली : केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को निर्देश दिया है कि वह एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा के पिछले बीस वर्षो के प्रश्न पत्र सार्वजनिक करे। आयोग ने इसके लिए दस अक्टूबर तक का समय दिया है। यह निर्देश तब आया है जब देश के इस सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान ने एक आरटीआइ आवेदक को इसकी इसकी जानकारी देने पर आपत्ति की। संस्थान की ओर से कहा गया कि प्रश्न पत्र वास्तव में विशेषज्ञों की साहित्यिक कृति हैं जिसका कॉपीराइट केवल एम्स के पास है। इन्हें आरटीआइ कानून के दायरे से छूट के प्रावधान का उल्लेख किया था। एम्स की ओर से यह भी कहा गया था कि प्रश्न पत्र तैयार करने वाले विशेषज्ञों को कॉपीराइट कानून के तहत विशेष अधिकार मिले हुए हैं और संस्थान उनके अधिकारों की रक्षा कर रहा है। यह भी कहा गया था कि सवाल तैयार करने का काम एम्स विशेषज्ञों को विश्वास में लेकर कराता है इसलिए वह इन सवालों को सार्वजनिक नहीं कर सकता। संस्थान की ओर से यह आशंका भी जताई गई कि इन प्रश्न पत्रों का व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल भी किया जा सकता है। एम्स की इन दलीलों को खारिज करते हुए सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने कहा कि आरटीआइ कानून के तहत छूट केवल तभी तक है जब तक इन्हें सार्वजनिक करने से प्रतियोगिता परीक्षा में किसी तीसरे पक्ष को या मेडिकल संस्थान को नुकसान पहुंचेगा।
उन्होंने कहा कि स्पष्ट है कि एम्स व्यावसायिक संस्था नहीं है जिसका अन्य संस्थाओं से प्रतिस्पर्धा है। आयोग ने आदेश में कहा कि एम्स के लिए प्रश्न-पत्र विशेषज्ञ तैयार करते हैं लेकिन ऐसा नहीं लगता कि विशेषज्ञ प्रतियोगिता व्यवसाय में हैं जिससे इन प्रश्न पत्रों के सार्वजनिक करने पर उनकी विशेषज्ञता को हानि पहुंच सके। एम्स की दलील में यह भी कहा गया कि प्रश्नों की संख्या सीमित है और इन्हें सार्वजनिक करने से वे प्रश्न गोपनीय नहीं रह पाएंगे जो कि चयन प्रक्रिया के उच्च मानदंडों और मेधावी छात्रों के चयन के साथ समझौता होगा।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=8&edition=2011-09-26&pageno=11#id=111722009074174648_8_2011-09-26