पदोन्नति आरक्षण पर सरकार को फटकार,16 तक का अल्टीमेटम
जयपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण मामले में सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को उनकी पुन:अर्जित वरिष्ठता देने के आदेश का पालन नहीं करने पर सरकार को फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि वे 16 सितंबर तक पालना रिपोर्ट पेश करें।साथ ही सरकार की 11 सितंबर 11 की अधिसूचनाओं को गलत करार देते हुए कहा कि यह अवमानना की श्रेणी में आता है। मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश बेला एम.त्रिवेदी की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश मंगलवार को बजरंग लाल शर्मा व समता आंदोलन समिति की अवमानना याचिका पर दिया। गौरतलब है कि सरकार ने 11 सितंबर की अधिसूचनाओं से 28 दिसंबर 02 एवं 25 अप्रैल 08 की उन दोनों अधिसूचनाओं को वापस ले लिया था जिन्हें हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था और 1 अप्रैल 1997 की उस अधिसूचना को भी वापस लिया जिसके तहत सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को मूल वरिष्ठता देने का निर्देश दिया था।जबकि सरकार ने आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को 1 अप्रैल 97 से ही पदोन्नति में वरिष्ठता व आरक्षण के लाभ को जारी रखा। इस कार्रवाई को खंडपीठ ने गलत करार माना।
निरस्त अधिसूचना वापस कैसे ली:
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने राज्य सरकार की 11 सितंबर की अधिसूचनाओं पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जिन दोनों अधिसूचनाओं को अदालत ने 5 फरवरी 10 को ही निरस्त कर दिया था उन्हें सरकार कैसे वापस ले सकती है। खंडपीठ ने कहा कि यदि आदेश के पालन से कोई कर्मचारी पदोन्नत या पदावनत होता है तो करें।
एक दिन में दे सकते हैं पदोन्नति व वरिष्ठता:
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यदि सरकार चाहे तो प्रार्थियों को एक दिन में ही प्रमोशन व वरिष्ठता का लाभ दे सकती है।http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JAI-promotion-for-the-wrong-government-decisions-hc-2427509.html
आगे क्या होगा:
अधिवक्ता शोभित तिवारी ने बताया कि यदि सरकार सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करती है तो एससी/एसटी वर्ग को 1 अप्रैल 97 से पारिणामिक वरिष्ठता का लाभ नहीं मिलेगा और सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को उनकी मूल वरिष्ठता मिल जाएगी। साथ ही एससी/एसटी वर्ग वर्ग को दी गई पदोन्नति व वरिष्ठता वापस ले ली जाएगी।